आइए आज हम आपको लद्दाख की कुछ विशेषताएं (Facts About Ladakh) बताते हैं। जहां जाने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो हम पूरी दुनिया की छत पर घूम रहे हों। लद्दाख को पिछले दस साल से पर्यटकों के लिए खोला गया है। लद्दाख का सौंदर्य और इसकी खूबसूरती यहां आने वाले हर पर्यटक को अपना दीवाना बना कर उनके दिल में अपनी अलग ही किस्म की छाप छोड़ देती है।
कहां स्थित है लद्दाख :-
- दुनिया की सबसे ऊंची जगह पर स्थित लद्दाख बर्फ से ढंकी ऊंची ऊंची चोटियों, रेत के खूबसूरत टीलों, हिमनदी और घने बादलों के साथ चमकती हुई सुबह से और भी खूबसूरत लगता है।
- यह स्थान लगभग 9,000 से 25,170 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। लद्दाख बहुत ऊंची जगह पर स्थित है, जहां पर खड़े होने के बाद ऐसा लगता है मानो हम धरती और आकाश के बीच खड़े हों।
लद्दाख को बर्फीला रेगिस्तान भी कहा जाता है।
- हमारा लद्दाख उत्तर दिशा से काराकोरम और दक्षिण दिशा की तरफ हिमालय से घिरा हुआ है।
लद्दाख का मौसम :–

(facts about ladakh)
- जब सारे देश में गर्मी से आम जनता बेहाल हो तो बर्फीले लद्दाख का ठंड भरा सुनहरा नजारा लूटने कौन नहीं आना चाहेगा। फिलहाल ऐसा ही कुछ हाल है हमारे बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख का जहां आने वाले पर्यटकों की भीड़ अब सारे रिकार्ड तोड़ने लगी है।
- लद्दाख का मौसम इन गर्मियों के समय काफी सुहावना बना हुआ है। लद्दाख अपने आप में बहुत ही सुन्दर व रमणीय स्थल है जो की चारों ओर घूमने के लिए काफी बेहतर और खूबसूरत जगह माना गया है। गर्मियों में पर्यटक भारी संख्या में लद्दाख आते हैं जिससे क्षेत्र के व्यापारियों को भी काफी लाभ हो रहा है।
लद्दाख में खेले जाने वाले प्रमुख खेल :-
(facts about ladakh)
- लद्दाख खेलप्रेमियों के लिए एक बहुत ही बेहतरीन जगह है। यहां आइस हॉकी का मजा दिसम्बर से फरवरी तक लिया जा सकता है। यह बहुत ही बेहतरीन खेल है।
- यहां क्रिकेट भी मुख्यतः खेली जाती है।
- लद्दाख के पारम्परिक खेल प्रमुख रूप से धनुषबाजी और पोलो हैं। पोलो की शुरुआत17वीं शताब्दी में हुई थी।
लद्दाख जाने का सबसे बेहतरीन समय :-
(facts about ladakh)
- लद्दाख जाने का सबसे बेहतरीन समय मई से अक्टूबर तक होता है। इस समय यहां का मौसम बहुत अच्छा होता है। दिसम्बर से फरवरी तक यहां बहुत कड़ाके की सर्दी पड़ती है।
- लद्दाख का नीला पानी और घने बादल पर्यटकों पर मानो जैसे जादू करते हों। यहां सूरज जितना अधिक चमकदार होता है, हवाएं उतनी ही ज्यादा ठंडी। जम्मू-कश्मीर का यह छोटा सा क्षेत्र अपने आप में इतना खूबसूरत है कि यहां आकर कोई भी बिना पलकें झपकाएं यहां के प्राकृतिक दृश्यों को निहारते रह जाये।
- लद्दाख भारत का ऐसा क्षेत्र है जो आज कल के आधुनिक वातावरण से बिल्कुल ही अलग है। वास्तविकता से तो जुड़ा हुआ है मगर साथ ही पुरानी परम्पराओं को समेटे हुए भी है। यहां के जीवन पर अध्यात्म का बहुत ही गहरा असर है। जो भी पर्यटक यहां आते हैं, उन्हें लद्दाख के लोग वहां का जनजीवन, और लद्दाख की संस्कृति दुनिया से बिल्कुल ही अलग लगते हैं।
लद्दाख की प्रमुख और प्रसिद्ध जगह :–

(facts about ladakh)
- लद्दाख का सबसे मुख्य और प्रसिद्ध शहर लेह में है। यहां का लेह पैलेस जो 17वीं शताब्दी में बना नौ मंजिला पैलेस हैं, इसकी शोभा देखने लायक है।
- यहां का स्टाक पैलेस जो 1825 में बना हुआ था दरअसल एक म्यूजियम है, जिसमें बेशकीमती गहने, पारम्परिक कपड़े और आभूषण रखे गए हैं। जो लेह के प्राचीन समय की याद दिलाते है।
- यहां शक्यमुनि बुद्ध की भव्य प्रतिमा जिसे सोने से बनाया गया है, देखने लायक है। इस पर तांबे की परत भी चढ़ाई गई है।
- नैमग्याल सेना गोम्पा में तीन मंजिला ऊंची बुद्ध की प्रतिमा, प्राचीन हस्तलिपि और भित्तिचित्र भी देखने लायक हैं।
- दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील पैंगांग झील भी लद्दाख में स्थित है।
लद्दाख की विशेषताएं :-
(facts about ladakh)
- महान बुद्ध की परम्परा को वहां के लोग आज भी बहुत मानते हैं। यही कारण है कि लद्दाख को छोटा तिब्बत भी कहा जाता है। छोटा तिब्बत कहने का एकमात्र कारण यह है कि यहां तिब्बती संस्कृति का प्रभाव दिखाई देता है।
- लद्दाख विश्व का सबसे ऊंचाई पर बसा निवास स्थल है। यह अपने आप में इतना अद्भुत और अलग है कि हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
- पहाड़ों के बीच बने यहां के गांव, आकाश छूती स्तूपें और खड़ी व पथरीली चट्टानों पर बने मठ देखने में ऐसे लगते हैं जैसे हवा में झूल रहे हों। इन मठों के अंदर बेशकीमती पुरातत्व और प्राचीन कलाएं दर्शनीय है।
- लद्दाख में अलग अलग प्रकार के जीव-जन्तु दिखाई देते हैं। भिन्न भिन्न प्रकार के पक्षियों और जंगली जानवर की भी अलग-अलग और दुर्लभ प्रजातियां यहां देखने को मिलती हैं।
कैसे जाएं लद्दाख :-
(facts about ladakh)
- वैसे तो लेह जाने के लिए दो रास्ते हैं, पहला मनाली और दूसरा श्रीनगर।
- श्रीनगर के लिए भारतीय रेल सेवा की सुविधा उपलब्ध है। वहीं दूसरी ओर, सड़क मार्ग से भी जाया जा सकता है, लेकिन सड़क मार्ग से जाने के लिए ये जानना जरूरी है कि रास्ता खुला है या लैंडस्लाइड जैसी कोई समस्या तो नहीं है। क्योंकी पहाड़ी एरिया होने की वजह से वहां ऐसी समस्याएं आम बात है।
- हवाई मार्ग से भी यहां जाया जा सकता है। जहां दिल्ली और श्रीनगर से लेह के लिए उड़ाने उपलब्ध हैं।
लद्दाख का इतिहास :-

(facts about ladakh)
- लद्दाख का इतिहास दो हज़ार साल से भी अधिक पुराना है। हिमालय और काराकोरम पर्वत की चोटियों के बीच बसे इस खूबसूरत जगह पर समय समय पर तमाम ताकतवर देशों की नज़र रही है।
- ज्यादा पहले ना जाते हुए अगर हम देखे तो 17वीं सदी के अंत में तिब्बत के साथ चलते विवाद की वजह से लद्दाख ने खुद को भूटान के साथ जोड़ लिया था।
- अब इसके बाद क्या हुआ कि कश्मीर के डोगरा वंश के जो शासक थे उन्होंने लद्दाख को 19वीं सदी में हासिल कर लिया। तिब्बत, भूटान, चीन, बाल्टिस्तान और कश्मीर के साथ हुए कई संघर्षों के बाद 19वीं सदी से लद्दाख कश्मीर का ही हिस्सा रहा।
- वो 1834 का समय था जब महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति ज़ोरावर सिंह ने लद्दाख को डोगरा वंश के लिए जीत लिया था।
- अब 1842 में लद्दाखी विद्रोह को भी कुचल डाला गया और लद्दाख को जम्मू व कश्मीर का एक जरूरी हिस्सा बना लिया गया। इस घटना के बाद लद्दाख के शासक रहे नामज्ञाल वंश को स्तोक की जागीर दे दी गई और साथ ही वज़ीरे-वज़ारत की पदवी भी। 1
- धीरे धीरे समय बीतता गया और 1850 के बाद लद्दाख में ब्रितानी हुकूमत और यूरोप की दिलचस्पी भी बढ़ना शुरू हो गई और 1885 तक लेह को मोरावियन चर्च के मिशन का हेडक्वार्टर बना दिया गया।
- अब बात करते हैं भारत के आज़ादी के समय की। साल 1947 में जब भारत को बंटवारे की शर्त पर आज़ादी मिली, तो उस समय कश्मीर के महाराजा हरि सिंह थे जिनके पास सिर्फ दो विकल्प रह गए थे कि या तो वो हिंदोस्तान में शामिल हो जाएं और या तो पाकिस्तान में।
- इसी बीच, 1948 में पाकिस्तानी हमलावरों ने लद्दाख में कारगिल और ज़ांसकर तक के हिस्से को जबरदस्ती हथियाने की कोशिश की लेकिन समय रहते बहादुर भारतीय सैनिकों ने इस हिस्से से पाकिस्तानियों को खदेड़ भगाया।
- फिर जम्मू कश्मीर ने भारत के साथ कई शर्तों के साथ संधि का ऐलान किया और भारतीय सेना का आभारी लद्दाख भी जम्मू कश्मीर राज्य के हिस्से के तौर पर भारत का एक अभिन्न अंग बन गया।
- फिर साल 1949 में चीन ने नूब्रा और झिनजियांग के बीच का बॉर्डर बंद कर तेल व्यापार पर रोक लगा दी। इस क्षेत्र में रहने वाले तिब्बतियों को 1950 में चीन के घुसपैठियों ने काफी परेशान किया।
- 1962 में चीन ने अक्साई चिन इलाके पर कब्ज़ा करके तत्काल झिनजियांग और तिब्बत के बीच सड़कें बनवाना शुरू कर दिया। पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन ने काराकोरम हाईवे भी बनवाया। उसी समय भारत ने श्रीनगर से लेह के बीच हाईवे बनवाया। इस हाईवे के बनने से श्रीनगर से लेह जाने में लगने वाला 16 दिन का समय घटकर अब दो दिन का हो गया था।
- जम्मू और कश्मीर के साथ साथ राज्य के इस हिस्से पर भी भारत का अपने पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन के साथ विवाद चलता रहा।
- लद्दाख का कारगिल क्षेत्र तो 1947, 1965,1971 और 1999 के युद्धों में target पर रहा।
- अब 1979 लद्दाख को दो ज़िलों या दो क्षेत्रों कारगिल और लेह में बांट दिया गया था।
- 1989 में बौद्धों और मुस्लिमों के बीच हो रहे तनाव के कारण यहां सांप्रदायिक तनाव और साथ में दंगे भी हुए और तब कश्मीर से अलग होकर लद्दाख ने केंद्रशासित राज्य का दर्जा पाने की मांग की।
- इसके बाद 1993 में भारत सरकार ने लद्दाख को Autonomy/ स्वायत्ता देते हुए लद्दाख स्वायत्त हिल डेवलपमेंट परिषद की स्थापना की।
- 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध के समय से ही लद्दाख की सीमा को लेकर विवादों ने पीछा नहीं छोड़ा है। तबसे यहां के हालात पेचीदा ही रहे हैं इसके साथ ही लद्दाख के उत्तर पूर्वी छोर पर भारतीय और चीनी सुरक्षा बल भारी संख्या में तैनात रहते हैं।
- लद्दाख के चुमार जैसे इलाके पिछले कुछ समय से सीमा विवाद को लेकर सुर्खियों में रहते है।
- भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच उधर, 2014 तक जीवित रहे तिब्बत के कम्युनिस्ट नेता फुंत्स्योक वांग्याल हमेशा ही लद्दाख को तिब्बत का हिस्सा बताने का दावा करते रहते थे।
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