भारतीय नागरिकता
अनुच्छेद 5
वह व्यक्ति जो भारत के राज्य छेत्र में जन्मा था या उसके माता पिता भारत के राज्य छेत्र में पैदा हुए थे या जो संविधान के प्रारंभ होने के पहले कम से कम 5 साल तक भारत के राज्य छेत्र में ममूली तौर पर निवासी रहा हो, वो भारत का निवासी होगा।
अनुच्छेद 6
जो पाकिस्तान से आए हुए नागरिकों के बारे में बताता है। कोई व्यक्ति या उसके माता पिता में से कोई या उसके दादा दादी या नाना नानी में से कोई जो भारत शासन अधिनियम 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा हो और वह व्यक्ति 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आकर रहने लगा हो तो वह भारत का नागरिक माना जाएगा।
अनुच्छेद 7
कोई व्यक्ति 1 मार्च 1947 के बाद पाकिस्तान चला गया और थोड़े समय बाद वापस आ गया तो उसे 19 जुलाई 1948 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम मानने होंगे। उसे भारत में कम से कम 6 महीने रहकर अपना पंजीकरण कराना होगा।
अनुच्छेद 8
विदेश में पैदा हुए किसी भी बच्चे को भारत का नागरिक माना जाएगा,अगर उसके रिश्तेदारों में से कोई भारत का नागरिक हो। लेकिन उसे विदेश में मौजूद भारतीय दूतावास या कौंसिल में भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकरण करवाना होगा।
अनुच्छेद 9
अगर कोई भारतीय नागरिक किसी दूसरे देश की नागरिकता लेे लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप ही समाप्त हो जाएगी।
अनुच्छेद 10
संसद के पास अधिकार है कि वह नागरिकता सम्बन्धी जो भी नियम बनाएगी उनके आधार पर नागरिकता दी जा सकेगी।
अनुच्छेद 11
किसी को नागरिकता देना या उसकी नागरिकता समाप्त करने से सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद के पास सुरक्षित होगा।

नागरिकता अधिनियम 1955 के आधार
- जन्म के आधार पर
1 जुलाई 1947 या उसके बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक होगा। अगर उसके जन्म के समय उसके माता पिता भारत के नागरिक होंगे।
- वंश व रक्त संबंध पर नागरिकता
भारत से बाहर जन्मे व्यक्ति को वंश के। आधार पर नागरिकता मिलेगी। माता पिता में से कोई एक भारत का नागरिक होना जरूरी है तथा उस बच्चे का पंजीकरण एक साल के भीतर करवाना भी अनिवार्य है।
- पंजीकरण के आधार पर नागरिकता
कोई व्यक्ति जो अवैध प्रवासी ना हो भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है तथा इक्छित व्यक्ति का भारतीय नागरिक से विवाह की अनिवार्यता होना जरूरी है तथा आवेदनकर्ता को आवेदन से पहले भारत में सात साल रहना जरूरी है।
- क्षेत्र समाविस्टी के आधार पर नागरिकता
किसी नए क्षेत्र के भारत में शामिल होने पर वहां के लोगों को भारत की नागरिकता का आधार प्राप्त हो जाता है। हैदराबाद, गोवा, पांडिचेरी के भारत में शामिल होने पर वहां के लोगों को भारत की नागरिकता प्राप्त हो गई।
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986
असम राज्य में अवैध प्रवासियों को निर्धारित प्रारूप में भारतीय वाणिज्य दूतावास के साथ रजिस्टर्ड होना अनिवार्य किया गया।
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992
भारत से बाहर पैदा हुए बच्चों के लिए नागरिकता के आधार में बदलाव हुआ। मूल कानून में केवल पिता के भारतीय नागरिक होने पर है नागरिकता का प्रावधान किया गया। साल 1992 के संशोधन ने माता की नागरिकता को पिता के समकक्ष अधिकार दिया।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003
प्रवासी भारतीय और विदेश में बसे भारतीय मूल के लोग दोहरी नागरिकता से जुड़े थे जो 16 देशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को भारत की ओवरसीज नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया।
“19 जनवरी 2019 को बीजेपी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल की अध्यक्षता में संयुक्त संसदीय रिपोर्ट पेश की गई।“
सिफारिश
- बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पकिस्तान के हिन्दुओं, सिखों, जैनों, ईसाइयों, बौद्धों को भारतीय नागरिकता देने की सिफारिश की।
- ऐसा होने पर इन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा। समिति ने सरकार के प्रस्ताव पर जताई सहमति तथा बांग्लादेश को संशोधनों के बाहर रखने की मांग को अस्वीकार किया
- नागरिकता विधेयक 1955 में संशोधन का सुझाव दिया गया जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय को 11 साल के बजाय 6 साल भारत मे रहने पर नागरिकता दी जा सकती है।

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019
अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिन्दू, सिक्ख, जैन, बौद्ध, ईसाई और। पारसी धर्म को मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को महज 11 साल की बजाय अब पांच साल भारत में गुजरना होगा। बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी या जिनके वैध दस्तावेजों की समय सीमा हाल के सालों में समाप्त हो गई है भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है और भारतीय नागरिकता को प्राप्त करने में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
अन्य ठोस प्रावधान
अवैध प्रवासियों को लाभ प्रदान करना, विदेशी अधिनियम 1946, पासपोर्ट अधिनियम 1920 के तहत निर्वासन का सामना नहीं करना पड़ेगा। 1955 अधिनियम कुछ शर्तों को पूरा करने पर नागरिकता प्राप्ति के लिए आवेदन करने की अनुमति देगा। इसके अलावा आवेदन की तिथि से 12 महीने पहले तक भारत में निवास और 12 महीने पहले तक भारत में निवास और 12 से पहले 14 सालों में से 11साल भारत में बिताना जरूरी होगा। मौजूदा विधेयक में 11 वर्ष की शर्त को घटा कर 5 वर्ष का प्रावधान किया गया तथा OCI पंजीकरण रद्द कराने का प्रावधान भी किया गया है।
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