25 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नयी दिल्ली में मेक इन इंडिया (Make in India in Hindi) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी। भारत में निवेश करने के लिये (राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय) पूरे विश्व से मुख्य व्यापारिक निवेशकों को बुलाने के लिये ये एक पहल थी। देश में किसी भी क्षेत्र में (उत्पादन, टेक्सटाईल्स, ऑटोमोबाईल्स, निर्माण, खुदरा, रसायन, आईटी, बंदरगाह, दवा के क्षेत्र में, अतिथि सत्कार, पर्यटन, स्वास्थ्य, रेलवे, चमड़ा आदि) अपने व्यापार को स्थापित करने के लिये सभी निवेशकों के लिये ये एक बड़ा अवसर है। भारत में विनिर्माण पावरहाऊस की स्थापना के लिये विदेशी कंपनियों के लिये इस आकर्षक योजना (Make in India in Hindi) के पास साधन-संपन्न प्रस्ताव है।
व्यापार (उपग्रह से पनडुब्बी तक, कार से सॉफ्टवेयर, औषधीय से बंदरगाह तक, कागज़ से ऊर्जा तक आदि) के लिये इसे एक वैश्विक केन्द्र बनाने के लिये देश में डिजिटल नेटवर्क के बाजार के सुधार के साथ ही असरदार भौतिक संरचना के निर्माण पर केन्द्रित भारतीय सरकार द्वारा मेक इन इंडिया अभियान की शुरुआत की गयी। इसका प्रतीक (भारत के राष्ट्रीय प्रतीक से लिया हुआ) एक विशाल शेर है जिसके पास ढ़ेर सारे पहिये (शांतिपूर्णं प्रगति और चमकीले भविष्य के रास्ते को इंगित करता है) है। कई पहियों के साथ चलता हुआ शेर हिम्मत, मजबूती, दृढ़ता और बुद्धिमत्ता को इंगित करता है। फेसबुक पर मेक इन इंडिया पेज़ (Make in India in Hindi) को 1,20,00 लाईक्स मिलें हैं और आरंभ करने के तारीख से कुछ महीनों के अंदर 1,30,000 से ज्यादा फालोअर्स इसके ट्वीटर पर हो चुके हैं।
एक वैश्विक व्यापारिक केन्द्र में देश को बदलने के लिये इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को डिज़ाईन किया गया है क्योंकि इसके पास स्थानीय और विदेशी कंपनियों के लिये आकर्षक प्रस्ताव है। देश के युवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये लगभग 25 क्षेत्रकों में कौशल को बढ़ाने के साथ ही इस अभियान का ध्यान बड़ी संख्या में मूल्यवान और सम्मानित नौकरी उत्पन्न करना है। इसमें ऑटोमोबाईल, रसायन, आईटी तथा बीपीएम, विमानन उद्योग, औषधीय, निर्माण, बिजली से संबंधित मशीन, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा, विनिर्माण, अंतरिक्ष, टेक्सटाईल्स, कपड़ा उद्योग, बंदरगाह, चमड़ा, मीडिया और मनोरंजन, स्वास्थ्य, खनन, पर्यटन और मेहमानदारी, रेलवे, ऑटोमोबाईल घटक, नवीकरणीय ऊर्जा, बायोटेक्नोलॉजी, सड़क और हाईवे, इलेक्ट्रानिक निकाय और थर्मल ऊर्जा शामिल हैं।
इस योजना के सफलतापूर्वक लागू होने से भारत में 100 स्मार्ट शहर प्रोजेक्ट और वहन करने योग्य घर बनाने में मदद मिलेगी। प्रमुख निवेशकों के मदद के साथ देश में ठोस वृद्धि और मूल्यवान रोजगार उत्पन्न करना इसका मुख्य लक्ष्य है। ये दोनों तरफ के लोगों को फायदा पहुँचायेगा, निवेशक और हमारे देश दोनों को। निवेशकों के असरदार और आसान संचार के लिये एक ऑनलाईन पोर्टल (makeinindia.com) और एक समर्पित सहायक टीम भारतीय सरकार ने बनायी है। किसी भी समय व्यापारिक कंपनियों के सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिये एक वफादार शेल भी समर्पित है।
(Make in India in Hindi)
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इस प्रोजेक्ट में जिन 25 क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा वो इस प्रकार हैं : –
1. ऑटोमोबाइल
2. विमानन
3. जैव प्रौद्योगिकी
4. रसायन
5. रक्षा निर्माण
6. विद्युत मशीनरी
7. खाद्य प्रसंस्करण
8. चमड़ा
9. मीडिया और मनोरंजन
10. खनिज
11. तेल एवं प्राकृतिक गैस
12. फार्मास्यूटिकल्स
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13. बंदरगाह और शिपिंग
14. सूचना प्रौद्योगिकी और व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन
15. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम
16. निर्माण
17. रेलवे
18. सड़क और राजमार्ग
19. अंतरिक्ष
20. कल्याण
21. आतिथ्य और पर्यटन
22. ऑटो मोबाइल
23. तापीय उर्जा
24. कपड़ा और गारमेंट्स
25. नवीकरणीय ऊर्जा
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‘मेक इन इंडिया’ से भारत को लाभ – (Make in India in Hindi)
बहुत ही थोड़े समय में सरकार ने पुराने ढांचे को नए ढांचे से बदल दिया है ताकि नए विचार और कौशल विकास को बढ़ाया जा सके।
- भारत को एक विनिर्माण हब के रूप में विकसित करना जिससे यहाँ के बने उत्पादों को विश्व के किसी भी कोने में आसानी से बेचा जा सके। इसके माध्यम से सरकार विभिन्न देशों की कंपनियों को भारत में टैक्स फ्री करके अपना उद्योग भारत में ही लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगी जिससे की भारत का आयात बिल कम हो सके और देश में रोजगार का सृजन हो सके l
- भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में बढ़ोतरी होने से निर्यात और विनिर्माण में वृद्धि होगी। निर्यात में वृद्धि से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और भारत को मौजूदा प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वैश्विक निवेश के माध्यम से विनिर्माण के वैश्विक हब में बदल दिया जाएगा। विनिर्माण क्षेत्र अभी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सिर्फ 16% का योगदान देता है और सरकार का लक्ष्य इसे 2020 तक 25% करना है l
- रोजगार के अधिक अवसर। भारत के इस अभियान में उन युवा प्रतिभाओं की मदद करने की बात भी कही गयी है जो कि नवाचार और उद्यमिता कौशल में निपुण हैं l ऐसे लोगों को सरकार मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय सहायता देगी जिससे कि देश में नयी स्टार्ट उप कंपनियों का विकास हो सके जो कि आगे चलकर रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे l
- अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने का मौका। सरकार ने “मेक इन इंडिया वीक” का आयोजन 13 फरवरी 2016 को मुंबई में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एमएमआरडीए ग्राउंड में आयोजित किया गया था। सप्ताह के लंबे बहु क्षेत्रीय औद्योगिक में 68 देशों के 2500 अंतरराष्ट्रीय और 8000 घरेलू प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। DIPP के सचिव अमिताभ कांत ने कहा कि उन्हें 15.2 लाख करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताओं (Investment Commitments ) और 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश पूछताछ (Investment Inquiries) प्राप्त हुई थी। महाराष्ट्र को 8 लाख करोड़ रुपये (120 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश मिला।
(Make in India in Hindi)
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- भारत में रक्षा निवेश को बढ़ावा। ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के माध्यम से विदेशी रक्षा कंपनियां अपने कारखानों को भारत में स्थापित करने पर विचार कर रही हैंl इसी क्रम में अगस्त 2015 में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत सुखोई Su – 30MKI लड़ाकू विमान के 332 पार्ट्स की तकनीक को भारत को स्थानांतरित करने के लिए रूस के इरकुट कॉर्प (Irkut Corp) कम्पनी से वार्ता शुरू की। इन घटकों, जिसे लाइन प्रतिस्थापन इकाइयां (LRUs) भी कहा जाता हैl इनको दो भागों महत्वपूर्ण और गैर-महत्वपूर्ण घटकों में बांटा गया है और ये मुख्य रूप से चार प्रमुख केटेगरी में बांटे गए हैं जैसे रेडियो और रडार; इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम; मैकेनिकल सिस्टम एंड इंस्ट्रुमेंट सिस्टम।
- भारत में रक्षा मंत्रालय फाइटिंग इन्फैंट्री कॉम्बोट वाहन (एफआईसीवी) के डिजाइन और निर्माण के लिए 600 अरब डॉलर (यूएस $ 9.3 बिलियन) अनुबंध की नीलामी कर रहा है। फरवरी 2016 में, लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) ने कहा कि यह “भारत में एफ -16 का निर्माण करने और मेक इन इंडिया कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए तैयार” हैl फरवरी 2017 में, लॉकहेड ने कहा कि यह भारत में स्थानीय साझीदार के साथ एफ -16 ब्लॉक -70 विमान का निर्माण करने का इरादा रखती है, अगर भारतीय वायु सेना इन विमानों को खरीदने पर सहमत हो जाती है।
सारांश रूप में यह कहा जा सकता है कि आगे आने वाले समय में मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत में विदेशी कम्पनियाँ अपने कारखाने भारत में लगाएंगी जिससे भारत का आयात बिल कम होगा देश में रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे और भारत एक विनिर्माण क्षेत्र की नयी महाशक्ति बनकर उभरेगा।
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