27 नवंबर 2019 को लोकसभा में ट्रांसजेंडर बिल पास किया गया। इस बिल में भारत सरकार द्वारा ट्रांसजेंडरों के हित में कानून बनाए गए तथा सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कार्य किए गए जो इस प्रकार हैं।
भेदभाव पर प्रतिबंध
- शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा।
- सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध उत्पादों का प्रयोग।
- सुविधाओं और अवसरों तक पहुंच और उसका उपभोग।
- कहीं आने जाने का अधिकार।
- किसी प्रॉपर्टी में निवास, किराए पर लेने, स्वामित्व वा कब्जे में लेने का अधिकार।
- सार्वजनिक या निजी पद को ग्रहण करने का अवसर ।
- किसी सरकारी या निजी प्रतिष्ठान तक पहुंच।
- जिसकी देखभाल या निगरानी किसी ट्रांसजेंडर द्वारा की जाती है ये सब शामिल हैं।
पहचान से जुड़ा सर्टिफिकेट
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति जिला मैजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकता है।
- ट्रांसजेंडर के रूप में उसकी आईडेंटिटी से जुड़ा सर्टिफिकेट जारी किया जाए।
- पुरुष या महिला के तौर पर लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने पर संशोधित सर्टिफिकेट
सरकार द्वारा कल्याणकारी उपाय
- समाज में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पूर्ण समावेश और भागीदारी को सुनिश्चित करना।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बचाव एवं पुनर्वास।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए कदम उठाना।
- ट्रांसजेंडर संवेदी योजनाओं का सृजन करना।
- सांस्कृतिक क्रियाकलापो में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की भागीदारी को बढ़ावा देना।
अपराध और दण्ड का प्रावधान
- भीख मांगना, बलपूर्वक या बंधुआ मजदूरी करवाना।
- इसमें सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अनिवार्य सरकारी सेवा शामिल नहीं है।
- परिवार, गांव आदि में निवास करने से रोकना।
- शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक उत्पीड़न करना आदि शामिल है।
- 6 महीने से दो साल की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।
प्रयास
- सुप्रीम कॉर्ट समेत तमाम अदालतों ने दिया दखल।
- 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे लिंग के रूप में कानूनी मान्यता दी।
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्रधिकरण बनाम केंद्र सरकार मामले में आर्थिक – सामाजिक रूप से पिछडे वर्ग को मिलने वाले सभी अधिकार देने का फैसला किया।
- बिल में ऐसे कई प्रावधान किए गए जिसमें तमिलनाडु समेत कई राज्यों ने ट्रांसजेंडर अधिकारों को कानूनी मान्यता दी।
निष्कर्ष
किन्नरों का वर्णन महाभारत समेत कई ग्रंथों में मिलता है। राजा महाराजा के जमाने में भी ये नाच गा कर अपनी जीविका चलाते थे। इनके रीति रिवाज, इनका जीवन आम जनजीवन से अलग दिखाई पड़ता है। समाज के कई रीति रिवाजों में इनकी उपस्थिति अनिवार्य मानी गई है। बावजूद इसके कभी भी ये मुख्य धरा में शामिल नहीं हो पाए। यहां तक कि सामान्य नागरिक के रूप में जीने के लिए ये बुनियादी जरूरतों से महरूम रह जाते हैं। जबकि आमतौर पर यह माना जाता है कि नागरिकों की हर खुशी में इनका शामिल होना जरूरी है। इनके जीवन से लेकर इनकी मृत्यु तक तमाम तरह की अफवाहें भी फैली हुई हैं और उस समाज से जुड़े ऐसे खौफनाक तथ्य हैं जो बार बार खबरों में बने रहते हैं। लेकिन सच तो ये है, कि समाज में हर वर्ग के लोगों को सम्मान और अधिकार के साथ जीने का हक है। लेकिन लंबे समय से ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को उपेक्षा और भेदभाव का शिकार होना पड़ा पर लंबे संघर्ष के बाद कुछ साल पहले इनको कागजों पर तीसरे लिंग का दर्जा मिला और अब पहले लोकसभा से और अब राज्य सभा से ट्रांसजेंडर व्यक्ति विधेयक पास हो गया। ये बिल किन्नर समुदाय को शिक्षा, अधिकार और सम्मान के साथ जीने में मदद के साथ ही उन्हें समाज के मुख्य धारा से जोड़ने में बेहद कारगर साबित होगा।